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Madhuri Ek Hotel Manager or Mein

मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव का निवासी हूँ मेरा स्वभाव सरल एवं सीधा सादा है। लेकिन दिखने में मैं एक ऊँचा गोरा व सुंदर नौजवान हूँ, जिसे लड़कियाँ आसानी से पसंद कर लें। मैं 6 साल का हुआ तब तक मेरे माता पिता दोनों ही इस दुनिया से जा चुके थे। मेरा पालन पोषण मेरे चाचा जी और चाची जी ने किया, नौकरी की तलाश में मैं शहर आ गया, यहाँ पर मैंने एक कंसल्टेंट की मदद से एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एच आर डिपार्टमेंट में नौकरी हासिल कर ली। एक साल के भीतर ही मैं अपने सीधे, सच्चे स्वभाव व मेहनत के बल पर कंपनी में ऑफिसर के निगाह में चढ़ गया। मेरे बॉस मिस्टर बंसल सबसे ज्यादा मुझ पर भरोसा करते थे। इस समय मेरी उमर 23 साल थी मेरे बॉस 38 साल के थे। एक दिन की बात है जब मेरे बॉस मिस्टर बंसल छुट्टी पर थे, रिसेप्शन से मुझे फोन आया, मोना (रिसेप्शन वाली लड़की) ने मुझे बताया कि होटल सन राइज़ से किसी माधुरी शर्मा का फोन है। बंसल साहब से बात कराने का बोल रही है, तू अटेंड कर ले। मैंने कहा- अच्छा ठीक है लाइन दे दो। फोन लेने पर दूसरी तरफ़ से एक सेक्सी और मीठी आवाज़ आई- मेरा नाम माधुरी शर्मा है, मैं होटल अभिलाषा में मॅनेजर हूँ.

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मुझे जहाँ तक जानकारी है कि आपकी कंपनी में काम के सिलसिले में अक्सर फॉरेन से गेस्ट आते रहते हैं जिन्हें आप लोग होटल अजंता पॅलेस में रुकवाते हैं। मैंने कहा- यह बात सही है पर आप क्या चाहती हैं? इस पर जवाब मिला कि हम अजंता पॅलेस से ज़्यादा अच्छी सर्विस देंगे और हमारे चार्ज भी उन लोगों से कम है, हमारा होटल एकदम नया है। तो आप लोग हमें सेवा का अवसर दें। मैंने कहा- यह तो बंसल साहब ही डिसाइड कर सकते हैं। वो बोली- आप उनसे मेरी बात करा दें। मैं बोला- मैडम, आज तो सर छुट्टी पर हैं, आप कल सुबह 10 बजे कॉल कर लीजिए। वो बड़े मीठे अंदाज में बोली- आप उनका मोबाइल नंबर दे सकते हैं प्लीज़? मैं मुस्कुरा कर बोला- नहीं मैडम, यह मुझे अलाउड नहीं है। वो बोली- आप इतना तो कर सकते हैं ना कि कल जब वो सीट पर रहें, आप मुझे मेरे इस मोबाइल नंबर पर कॉल कर दें। मैंने कहा- ठीक है। और उससे नंबर ले लिया। दूसरे दिन मैंने उसका काम कर दिया, शाम को बंसल साहब बोले- राकेश, आज तुम मेरे साथ कार में चलो, होटल अभिलाषा में विज़िट करना है, डिनर भी वहीं पर लेना है। मैं तैयार हो गया, शाम को करीब सात बजे मैं बंसल साहब के साथ होटल अभिलाषा पहुंचा। रिसेप्शन पर बंसल साहब ने बात की तो एक सर्विसमैन हमें लेकर माधुरी शर्मा के केबिन में गया। उसे पहले से हमारे आने की जानकारी थी, उसने उठ कर बड़े ही शालीनता से हमारा स्वागत किया। मैं उसे देखते ही रह गया, क्या लड़की थी, उमर 25 के आसपास होगी, संगेमरमर में ढली हुई थी, रंग एकदम गोरा, एक अच्छी हाइट, बड़ी बड़ी और सुन्दर काली आँखें, मॉडल जैसा फिगर मेनटेन करके रखा था, बाल कटे हुए चेहरा खूबसूरत और स्मार्ट… उसने घुटनों के ऊपर तक का स्कर्ट पहना हुआ था जिससे उसकी गोरी गोरी चिकनी टाँगें व जाँघ का कुछ हिस्सा दिख रहा था। ऊपर वो सफेद शर्ट व उसके ऊपर समरकोट पहने थी। उसे देख कर मुँह से शब्द निकलने बंद हो गये, मैं सम्मोहित सा उसे देखता रह गया, वो एक बला की खूबसूरत लड़की थी जिसे देख कर किसी का भी ईमान डोल सकता था। वो बोली- हमारे होटल में आपका स्वागत है, आप चाय, काफ़ी लेंगें या कुछ ठंडा मंगवा लूँ? बंसल साहब बोले- आप सिर्फ चाय मंगवा लें। माधुरी ने वेटर को बुलवा कर चाय लाने को कहा। बंसल साहब से माधुरी कुछ औपचारिक बातें करने लगी। कुछ देर बाद वेटर चाय व पानी लेकर आ गया, हम लोग चाय पीने लगे, मैं माधुरी के सामने खुद को बहुत छोटा समझ रहा था। मैं ठीक से उसे अटेंड भी नहीं कर पा रहा था, मुझे काफी असहज महसूस हो रहा था।

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चाय ख़त्म करने के बाद माधुरी हम लोगों को होटल दिखने ले गई, उसने हमें मीटिंग हॉल, बार, डांस रूम, सेपरेट रूम, स्विमिंग पूल, जिम, प्लेग्राउंड सब कुछ दिखाया। उसके बात करने और चलने का अंदाज़ एकदम इम्प्रेस करने वाला था। तभी बंसल साहब के घर से फ़ोन आ गया, वो अपने घर चले गए। माधुरी मुझे लेकर वापस केबिन में आ गई, मैं उससे नजरें नहीं मिला पा रहा था। कैबिन में सीट पर बैठ कर माधुरी ने सिगरेट का पैकेट निकाल लिया, मुझसे बोली- क्या आप सिगरेट पीना पसंद करेंगे? मैं घबरा कर बोला- नहीं! वो मुस्कुरा कर बोली- क्या मैं पी सकती हूँ? मैंने कहा- जी हाँ, क्यों नहीं। उसने लाइटर से सिगरेट जलाया और अपना एक पैर दूसरे पर चढ़ा कर हल्के हल्के कश लगाने लगी, मैं उसे सम्मोहित सा देख रहा था, 10 सेकंड में मैंने मुश्किल से अपने होश को काबू किया, मेरे अन्दर डर, हीनभावना और सेक्स तीनों एक साथ जाग रहे थे। माधुरी व्हील चेयर पर टिक कर हिलते हुए, आँख बंद करके सिगरेट पी रही थी। इधर मेरी हालत ख़राब हो गई थी, उसके रूप व जवानी पर मेरी ऐसी लार टपक रही थी, जैसे भूखा कुत्ता किसी आदमी को खाना खाते देख कर टपकता है। मेरा लुलु खड़ा हो गया था, कामवासना बुरी तरह मुझ पर हावी होती जा रही थी, जी चाहता था कि साली का यहीं स्कर्ट उठा कर लुलु घुसेड़ दूँ। पर अपनी औकात का मुझे पता था और इस बात का डर भी था कि वो मेरे इरादे जान गई तो मेरा इम्प्रैशन और ख़राब हो जायेगा। कुछ समय बाद वेटर आया और बोला- मैम डिनर रेडी है। माधुरी मुझे लेकर हॉल में आ गई, अब तक मैं अपने आपको काफी संभाल चुका था। डिनर लेते वक्त माधुरी बोली- आपके यहाँ से कांटेक्ट मिलना हमारे लिए बहुत महत्त्व की बात है, हम अपनी बेस्ट सर्विस आपको देंगे! आप हमारे लिए जो भी कर सकते हैं, प्लीज करो! हाँ जाते वक्त हमारे चार्जेस का कोटेशन लेते जाना, रेगुलर कस्टमर बनने पर हम आपको 10% डिस्काउंट भी देंगे। मैंने कहा- ठीक है। घर आकर मुझे वो ही वो नजर आ रही थी, उसकी चिकनी टांग गोरा रंग मॉडल जैसा फिगर चलने और बात करने का स्टाइल… माधुरी के नाम की मुठ मारनी पड़ी तब जाकर नींद आई। कुछ दिन बाद हमारी कंपनी और होटल अभिलाषा में कांटेक्ट हो गया। माधुरी ने मेरा धन्यवाद किया। एक बार हमारे ईरान से कोई बहुत महत्वपूर्ण गेस्ट माधुरी के होटल में आकर रुके, माधुरी उनको लेकर कम्पनी ऑफ़िस आई। यहीं पर उससे दूसरी मुलाकात हुई। गेस्ट लोग अपना काम कर रहे थे, माधुरी मेरे पास आकर बैठ गई। आज मैं माधुरी के साथ उतना असहज नहीं था। माधुरी बोली- राकेश कैसे हो? मैंने कहा- ठीक हूँ। बात चलने लगी, बोली- ये ईरान वाले कल से पका रहे हैं, पता नहीं क्या क्या खाते हैं और कैसे रहते हैं। उसने फिर सिगरेट निकाल ली। मैंने कहा- मैडम, यह फार्मा (दवाई) कंपनी है, सिगरेट अलाउड नहीं है।

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आप मेरे साथ केन्टीन चलें, वहाँ पर आप पी सकती हैं। माधुरी थैंक्स कह कर मेरे साथ केन्टीन आ गई, उसके सिगरेट पीने के बाद हमने चाय भी पी। माधुरी बोली- तुम सिगरेट नहीं पीते, यह अच्छी बात है, मैं भी छोड़ना चाहती हूँ पर छोड़ नहीं पा रही हूँ। माधुरी के साथ बात करते समय अब मैं सहज होता जा रहा था, अब मुझमें हीनभावना मरती जा रही थी। माधुरी जाते वक्त मुझसे बोली- तुम एक सीधे और सरल स्वभाव के हो, मुझे यह बात अच्छी लगी। मैं यह सुन कर खुश हो गया। एक दिन मैं ऑफिस का काम समाप्त करके रूम पर जा रहा था तो मिस्टर बंसल ने मुझे बुला लिया, उन्होंने मुझसे कहा- आज शाम को 7 बजे होटल अभिलाषा वाले पार्टी दे रहे हैं, मैं नहीं जा सकता इसलिए तुम चले जाओ, वहाँ बड़े बड़े लोग आयेंगे इसलिए होशियारी से रहना, अपनी कम्पनी का इम्प्रैशन ख़राब नहीं होना चाहिए। मैं नाथू (कंपनी का कार ड्राईवर) से बोल दूँगा, वो तुम्हें लेकर जायेगा और वापस तुम्हारे रूम पर छोड़ देगा। मैं खुश हो गया कि आज माधुरी से तीसरी मुलाकात होने वाली थी। मैं शाम 7 बजे होटल पहुँच गया तब तक पार्टी शुरू नहीं हुई थी। एक दो लोग ही दिख रहे थे। मैंने रिसेप्शन पर पूछा तो जवाब मिला- सर, ऐसी पार्टी में लोग देर से ही आते हैं। मैंने उससे माधुरी के बारे में पूछा तो बोली- मैम तो ऊपर जिम में एक्सरसाइज कर रही होंगी। मैंने कहा- आप उनसे मेरी बात करा दें। उसने एक दो पल मेरी ओर देखा फिर माधुरी को काल कर दिया। माधुरी ने मुझे ऊपर जिम में बुला लिया। वो एक स्किन टाईट ड्रेस में थी, एक्सरसाइज की ड्रेस में उसका सारा फिगर दिख रहा था, उसके बूब्ज़ कूल्हे कमर सबका पता चल रहा था। चलते वक्त उसके बूब्ज़ हिलते और पिछवाड़ा भी हिल रहा था, मेरा दिल फिर से बेईमान होने लगा था। वो हंस कर बोली- अरे तुम आ गए? ठीक है, मैं चेंज करके आती हूँ, तुम यहीं बैठो। मैं बैठ गया, वो चेंज करके आई। कुछ देर बात करने के बाद वो बोली- तुम हॉल में चलो, मैं तुम्हें वहीं मिलती हूँ। 9 बजे के बाद पार्टी रंग पर आई, बड़े लोगों की बीवियाँ और बेटियाँ सेक्सी कपड़े पहने थी जिसमें से उनके बदन की नुमाइश हो रही थी। लोग ड्रिंक ले रहे थे, सिगरेट का धुँआ उड़ा रहे थे। माधुरी भी ब्लैक कलर की सेक्सी ड्रेस में थी, नीचे से ड्रेस कटी थी, चले वक्त उसकी जांघों तक पैर दिख रहे थे, ऊपर से उसके बूबे का लगभग आधा हिस्सा ओपन था, पीठ का बड़ा भाग भी खुला हुआ था, सामने से पेट के पास कपड़ा जालीदार था जिससे उसके पेट के भाग और नाभि क़ी झलक दिख रही थी। ड्रिंक लेने के बाद कई लोग बहकने लगे थे, माधुरी भी ड्रिंक ले रही थी, एक घंटे बाद उस पर नशा हावी होने लगा था, नशे की हालत में वो मेरे पास आकर बैठ गई, लड़खड़ाते हुए बोली- तुम एक सीधे आदमी हो… आई लाइक यू! तुम कुछ खुल कर बोलते क्यों नहीं… मुझसे कोई गलती हो गई? तुम मुझे अपना दोस्त समझो, कभी कोई मदद चाहिये तो बोलना! घबराना मत…तुम एक अच्छे आदमी हो… पर एक बात बोलूँ, बुरा मत मानना… थोड़े स्मार्ट बनो… फिर मेरे कान के पास फ़ुसफुसाई- तुम्हारे बॉस ने कांटेक्ट देते समय अपना कमीशन सेट कर लिया है, तुम चाहते तो तुम्हें भी कुछ न कुछ मिल जाता… खैर कोई बात नहीँ, आगे देख लेंगे।

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तभी होटल का एक सीनियर मेरे पास आकर बोला- इसे ज्यादा हो गई है, तुम इसे घर पर ड्राप कर दो। मैंने कहा- ठीक है। माधुरी जाने को तैयार नहीं हो रही थी, तब सीनियर ने कहा- माधुरी, तुम्हारे घर से फ़ोन है, तुम्हारे पापा तुम्हें बुला रहे हैं। तब माधुरी बोली- गुड बाय… मैं जाती हूँ राकेश, तुम मुझे लेकर चलो, मैं तुम्हें अपने घर का रास्ता बताती हूँ। मैं माधुरी को लेकर कार की तरफ चला गया। सीढ़ियों से उतरते समय वो थोड़ा लड़खड़ा गई, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया उसका हाथ पकड़ते ही लुलु खड़ा हो गया। वो बोली- मेरा हाथ छोड़ो… मैं चल सकती हूँ। मैंने किसी तरह उसे कार में बैठाया और उसके घर पहुँचे, घर पर उसके पिताजी अकेले थे। माधुरी को इस हाल में देख कर बेचारे तिलमिला गए, बडबड़ाये- इस लड़की से मैं परेशान हूँ। ऐसा कह कर अपने कमरे मेंन चले गए, माधुरी के घर से लग रहा था कि वो अपर मिडल क्लास को बिलोंग करती है, माधुरी का कमरा ऊपर था, वो सीढ़ियाँ चढ़ने के लायक नहीं थी, मैंने उसे सहारा दिया, उसको खड़ा करके उसका एक हाथ अपने गले में डाला और अपना एक हाथ उसकी कमर में डाला, फिर उसको लेकर सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। उसका नरम बदन मेरे शरीर से रगड़ रहा था, उसकी जांघों तक नंगी टांगें मेरी टांगों से रगड़ रही थी, उसके गाल मेरे गालों को टच कर रहे थे और उसके आधे खुले बूब्ज़ मेरी छाती से दब रहे थे, मेरा एक हाथ आलरेडी उसकी खुली पीठ लपेटे था और मेरे पंजा उसके चिकने गोरे पेट पर था, बहुत मजा आ रहा था, लुलु टाईट हो गया था, मैं सोच भी नहीं सकता था कि माधुरी को इस तरह टच करूँगा। चलते वक्त मैं उसको थोड़ा जोर से भींच लेता था, वो मदहोश थी। मुझे इतना मजा आ रहा था कि लग रहा था कि पैंट में ही छुट हो जाएगी।

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में उसको उसके कमरे में ले गया और लेटा दिया तभी वोह बोली राकेश जराह मेरे जूते तो निकाल दो, तो मेने उसकी बात मान कर उसके जूते निकल दिये. . और मेने उसे कहा तुम लेट जाओ में चलता हूँ .. तो उसने कहा रुको राकेश सामने वाले ड्रोवर मेसे बोतल निकाल के मुझे १ पेग बना दोना मेने कहा तुम ने इतनी तो पि रखि है और तुम्हे और पीना है.. तो उसने जवाब दिया लोहे को लोहा काटता है.. थोड़ी और पीउंगी तो उलटी करके सब निकाल दूंगी मेने उसकी बात मान कर उसे १ पेग बना कर दिया उसने कहा तुम थोड़ी देर यंही मेरे कमरे में रुक जाओ जबतक में थोड़ी संभल ना जाऊ मेने कहा ठीक है.. थोड़ी ही देर में उसे बेक आने लगा और वोह दोड के बाथरूम में चली गई में भी उसके पीछे चला गया उसको संभाला और सारा कचरा पेट में से बहार निकल गया मेने उसे थोडा पानी पिलाया उसके कपडे सारे बिगड गए थे तो उसने कहा मुझे मेरा नाइट ड्रेस कबर्ट मेसे निकाल के दो में चेंज कर लेती हूँ उसके बाद वोह अपने कपडे बदलने बाथरूम में रुक गई मे बहार उसका वेट कर रहा था तभी आवाज आई राकेश ... मेंने अंदर जाके देखा तो वोह बाथ टब में आधी नंगी गिरी हुइ थी मेने उसे उठाया और बहार बेड पे लेकर आया उसने कपडे पहेने और फिर ग्लास और बोत्तल लके बेठ गई मेने कहा क्या कर रही हो तो उसने कहा तुम भी पीओ मरे साथ आज में बहोत खुश हूँ!! मेने कहा पिने वालो को सिर्फ बहाना चाहिए पिने का .. उसने कहा २ पेग तो मारने पड़ेगे मेरे साथ हमारी दोस्ती के लिए!! में मान गया . . उसके साथ २ पेग मारने के बाद मुझे कुछ होश रहा नहीं सुभह ६ बजे मेरी आँख खुल गई तो मेने देखा के हम दोनो बिस्तर में एक साथ नंगे सो राह थे एक दुशरे की बाँहों में बाहें डाले हुए, मे गभरा गया और खड़ा हो गया.. तुरंत ही मेने अपने कपडे पहेने तभी माधुरी की आँखे खुल गई और मेरे सामने खुद को नंगा देख कर वोह भी शरमा गई... दोस्तों आगे की कहानी अगली पोस्ट में बताऊंगा.. मेरी यह कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद !!

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